Text of PM’s address at foundation stone laying ceremony of various development works in Vyara, Gujarat


azadi ka amrit mahotsav

भारत माता की-जय,

भारत माता की-जय,

आप सभी जिले के कोने-कोने से हम सभी को आशीर्वाद देने के लिए आए हैं, और मुझे बताया गया कि करीब ढाई-तीन घंटे से आप सभी यहाँ आये हुए हैं। आपका यह धीरज, आपका यह प्रेम, आपका उत्साह और आनंद, ये माहौल मुझे आपके लिए काम करने के लिए एक नई ताकत और ऊर्जा देता है। नया विश्वास देता है और उसके लिए आप सभी को सबसे पहले मेरी राम-राम।

पिछले बीस सालों से आप सभी का साथ, आपकी भावना, आपका प्रेम, हमारे ये स्नेहपूर्ण संबंध, शायद मुझे ही यह सब सौभाग्य मिला है, और यह सब मुझे आदिवासी भाइयों, बहनों और माताओं ने दिया है। ऐसा सौभाग्य राजनीति में किसी का नहीं होगा, जो आपने मुझे दिया है। और 20-20 साल तक अखंड और निरंतर प्रेम और उसी वजह से मैं गांधीनगर में रहूं या दिल्ली में रहूं, मन में सिर्फ एक ही ख्याल आता है, आप सभी का उपकार मानने का अवसर मिलता है, तो हर बार आपका उपकार मानता रहता हूं।

आज भी यहां पर तापी नर्मदा सहित पूरे आदिवासी क्षेत्र में जनजाति क्षेत्र में सैंकड़ों करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन हुआ है। मैंने कल और आज जो कार्यक्रम किए हैं, उसमें जो शिलान्यास और उद्घाटन किया है, उसमें जो बजट का अनुमान और खर्च हुआ है, यदि मैं सभी को मिला लूं, तो पहले की सरकारों के 12 महीने का बजट भी ऐसा नहीं था, उससे ज्यादा बजट मेरे एक प्रवास में खर्च हुआ है, ये सब आपके लिए है।

ये सब आपके लिए ही है, ऐसा नहीं है, आप सभी के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए है। आपके माता-पिता ने जो जिंदगी बिताई हैं और उन्होंने कुछ जिंदगी तो जंगलों में गुजारी है। उनमें से कुछ कठिनाइयां तो कम हुई हैं, फिर भी आपको मुसीबत में तो रहना ही पड़ा। लेकिन मैंने आपको वचन दिया है और इसीलिए दिन-रात काम करता हूं कि जो सारी मुश्किलें आपने भुगती हैं, वो सब आपके बच्चों को न भुगतनी पड़े। इसलिए हम आदिवासी क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं।

आदिवासी क्षेत्र के हितों के लिए, आदिवासी भाइयों के कल्याण के लिए हम तो पूरी-पूरी मेहनत करते हैं, क्योंकि आप सभी के आशीर्वाद से ही हम बड़े हुए हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में पहले की सरकारें भी आपने देखी है। आप बोलते नहीं है, लेकिन आप सब कुछ जानते हैं।

एक ओर पहले की कांग्रेस की सरकारें और आज पूरे देश में भाजपा की सरकारों को देख लीजिए, कांग्रेस की सरकारों ने आपके उज्ज्वल भविष्य की कोई चिंता नहीं की। उनके दिमाग में तो केवल चुनाव ही रहता है और चुनाव के पहले वादे करते हैं, झूठे वादे करके भूल जाते हैं।

दूसरी ओर भाजपा की सरकार है, जो आदिवासियों के कल्याण के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। हमारे आदिवासी भाई-बहन शक्तिशाली बने, समर्थ बने, उनका पूरा क्षेत्र धूमधाम से आगे बढ़े, उसके लिए हम काम करते हैं। एक ओर कांग्रेस ने ऐसी सरकार चलाई कि उसे आदिवासी परंपरा का मजाक करना अच्छा लगता है।

यदि मैं कभी आदिवासी की पगड़ी पहनूं या जैकेट पहनूं तो वे अपने भाषणों में मजाक उड़ाते हैं, लेकिन मैं यह कांग्रेस के नेताओं से कहना चाहूंगा कि आदिवासी नेताओं का, उनकी परंपराओं का, उनकी संस्कृति का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए आप जो मजाक उड़ा रहे हैं, उसको यह आदिवासी बंधु कभी भूलता नहीं है और समय आने पर उसका हिसाब चुकता करता है।

एक ओर कांग्रेस की सरकारें आदिवासियों की ओर से बनाई गई चीजों का कोई मूल्य ही नहीं समझते थे, हम तो आज जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहां पर वन-धन की ताकत हमारे लिए बड़ी महत्वपूर्ण है और दुनिया के बाजारों में इस वन-धन का मूल्य मिले, इसका भाव-ताव हो, उसकी हम चिंता करते हैं।

भाइयों और बहनों,

देश में जहां-जहां भी भाजपा की सरकार बनी है, वहां आदिवासियों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए हम किसी भी सरकार की तुलना में सबसे ज्यादा समर्पित रूप से काम करने की सरकार के रूप में सक्रिय रहे हैं। आजादी के बाद दशकों तक कांग्रेस की सरकारों ने शासन किया और उन्होंने आदिवासी भाई-बहनों के जीवन की समस्याओं को कम करने की कभी चिंता नहीं की है। हमारे लिए आदिवासी भाई-बहनों का त्वरित रूप से विकास और भविष्य के लिए भी विकास उनको अच्छे से अच्छे सुविधाएं उपलब्ध हों, उसका भी हमने विचार किया है, जिसके बारे में कांग्रेस की सरकारों ने कभी सोचा ही नहीं है। ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं आपको मिले, उसके लिए हम काम करते रहे हैं।

जब हम अधिकतम सुविधा देने का काम कर रहे हैं, मुझे विश्वास है कि इसकी वजह से कांग्रेस के लोग आकर झूठा प्रचार करेंगे, लेकिन उनके अहंकार को मेरे आदिवासी भाई बहन चुकता कर देंगे, मुझे इस बात का विश्वास है।

घर में बिजली हो, पक्का मकान हो, गैस का कनेक्शन हो, शौचालय हो, घर के पास चिकित्सा का केंद्र हो, कमाने के लिए आजीविका के साधन हो और बालकों के लिए पास में क्रीड़ास्‍थल और स्कूल हो, गांव तक आने वाली सड़क हो, इसके लिए एक-एक कदम आगे बढ़ाकर हमने मुसीबत को दूर करने के लिए अभियान चलाया है। मुझे याद है कि गुजरात ने ऐसा कुछ अभूतपूर्व किया है। आज गुजरात में मुझे याद है कि जब मैं पहली बार सीएम बना, तो शहर के लोग ऐसा कहते थे कि कम से कम शाम को बिजली मिल जाए, ऐसा तो कुछ करिए। आज गुजरात में 24 घंटे बिजली आने लगी है, लेकिन विशेषता देखिए बिजली देने की बात आई थी, मैं यहां सीएम था, तब सबसे पहले कौन से जिले को 24 घंटे बिजली में मिली थी, आपको याद है ना।

गुजरात में ज्योति ग्राम योजना 24 घंटे बिजली देने की व्यवस्था मेरे डांग जिले को मिली थी। यानी आदिवासियों के 300 गांव में बिजली पहुंचाई और घर-घर ज्योति ग्राम का लाभ देते हुए सभी को 24 घंटे बिजली दी। अगर कोई दूसरे नेता होते तो वे अहमदाबाद या वडोदरा जैसा शहर चुनते, क्योंकि अखबारों में उनकी तस्वीरें छपें, डांग में तो कौन छापता उनकी तस्वीर। मेरे लिए मेरे आदिवासियों का कल्याण ही मेरी प्राथमिकता थी और डांग जिले से मैंने जो प्रेरणा ली और मैंने देखा कि जैसे ही बिजली पहुंची, बच्चों में पढ़ाई का उत्साह दिखा और लोगों का जीवन बदला और उसी से प्रेरणा लेकर मैं जब प्रधानमंत्री बना, तब मैंने हिसाब किया कि हिंदुस्तान में ऐसे कितने गांव है, जहां पर बिजली नहीं है।

हमें शर्म आती है कि इन लोगों ने क्या-क्या किया है। 18000 गांव ऐसे थे, जहां पर बिजली का एक खंभा तक नहीं पहुंचा था। हमने अभियान चलाया और आज हिंदुस्तान का एक भी गांव ऐसा नहीं है कि जहां पर बिजली नहीं है। यह सब मैंने डांग से सीखा। डांग का काम देखकर मैंने ये सब सीखा था और इसलिए मेरे लिए आदिवासी क्षेत्र लोक शिक्षा का सबसे बड़ा माध्यम रहा है। आदिवासी क्षेत्रों में कृषि को जीवन मिले, उसके लिए आपको शायद याद होगा कि हमने वलसाड जिले में बाड़ी योजना का आरंभ किया था।

मेरे आदिवासी भाई बहनों के पास मुश्किल से एक बीघा या दो बीघा जमीन होती है और वह भी खड्ढे-गड्ढे वाली या पहाड़ों के पास। अब ऐसी स्थिति में वह बेचारा क्या करेगा। अपने हिसाब से थोड़ी-बहुत मेहनत करके बाजरा पके और दिन पूरा करें, पेट भरने जितना भी नहीं मिलता था। हमने उसकी चिंता को समझते हुए बाड़ी योजना लेकर आये और आज भी वलसाड की ओर के क्षेत्र में जाते हैं तो छोटी सी जमीन पर मेरे आदिवासी भाई-बहन काजू की खेती करने लगे हैं। आम, अमरूद हो या नींबू, चीकू ऐसे सारे फल का उत्पादन करने लगे हैं और गोवा के सामने टक्कर लेने वाली ऐसे काजू की खेती मेरे आदिवासी भाई कर रहे हैं।

और इस बाड़ी प्रोजेक्ट ने इतना सारा जीवन परिवर्तन कर दिया है और उसकी हवा पूरे देश में पहुंची है, हमारे आदिवासी भाई बंजर जमीन पर फल पकाते हैं, बांस की खेती करने लगे हैं और उस वक्त हमारे राष्ट्रपति अब्दुल कलाम थे, तो उन्होंने कहा कि मैं यह सब देखने आना चाहता हूं, मैंने कहा कि आप आइए। उनका जन्मदिन था, उन्होंने कोई भी सुविधा नहीं ली और वलसाड जिले के आदिवासी गांवों में गए और बाड़ी प्रोजेक्ट को उन्होंने देखा और उसकी भरपूर प्रशंसा की।

इस बाड़ी प्रोजेक्ट से हमारे आदिवासी लोगों के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया है। हमारे आदिवासी भाइयों के लिए समस्या भी कैसी है? सबसे ज्यादा बारिश वहां होती है, किंतु पानी बहकर चला जाता है और गर्मी के मौसम में पीने तक का पानी नहीं मिलता है। कांग्रेस की सरकारों को इस पर ध्यान देने की भी फुरसत नहीं थी। मैंने तो कुछ ऐसे नेता भी देखे हैं, उन्होंने अपने गांव में पानी की टंकियां तो बनवाई, किंतु वह पानी की टंकियां एक बार भी भरी नहीं गई थीं।

ऐसे दिन भी मैंने देखे हैं, जब मैं सीएम बना, तब मैंने इन टंकियों को भरने का काम किया। यह आदिवासियों के प्रति देखने की मुझे पहले भी आदत थी। बिजली की तरह हम पानी के पीछे भी पड़े। हमने हैंडपंप लगाए, जहां भी देखो वहां पर हैंडपंप की चर्चा होती थी और आज हम पानी की ग्रिड बना रहे हैं। पानी को ऊंचाई पर ले जाकर आदिवासियों के दूर गांवों तक नहरों का लीप इरिगेशन करके पूरा नेटवर्क बिछाया और पानी पहुंचाने का काम किया है और डाबा-काठा कैनाल के लिए आदिवासी भाइयों के लिए कितनी कठिन बात होती थी। कैनाल के डाबा-काठा से पानी उठाकर मेरे आदिवासी भाइयों और किसानों को मैंने पानी दिया है और इसी वजह से तीन-तीन उपज होने लगी है। सैंकड़ों करोड़ रुपए की इस योजना का लाभ मेरे किसान भाइयों को मिले, आदिवासी क्षेत्र में मेरी माताओं-बहनों को यह पानी पहुंचे, उसके लिए मैंने यह काम किया है और इस वजह से पानी की सुविधा में सुधार आया है।

एक समय था, गुजरात में 100 में से 25 घर ऐसे थे, जहां घर में पानी आता था, हैंडपंप भी दूर-दूर थे और आज गुजरात में भूपेंद्र भाई की सरकार ने जो मेहनत की है, जिस काम कि मैंने शुरुआत की थी, आज गुजरात में 100 में से 100 घरों में पाइप से पानी पहुंचाने का काम किया है। इस पर काफी काम हो गया है।

भाइयों-बहनों,

आदिवासी क्षेत्र की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमने वन बंधु कल्याण योजना का सहारा लिया है और आज यहां पर मंगू भाई आए हैं, यह मेरा सौभाग्य है कि अब तो वो मध्‍यप्रदेश के राज्यपाल है। कोई भी सोच सकता है, क्या गुजरात की आदिवासी माता के गर्भ से जन्मे मंगू भाई मध्‍यप्रदेश के राज्यपाल बनकर वहां कल्याण काम कर रहे हैं। हमारा सौभाग्य है कि आज ऐसे शुभ अवसर पर सरकार के इस कार्यक्रम वे आए और हम सभी को आशीर्वाद दिया है।

मंगू भाई जब यहां पर मंत्री थे, दिन और रात आदिवासियों के लिए मेहनत करके समर्पित जीवन उन्होंने बिताया था और संपूर्ण निष्कलंक नेता रहे हैं। ऐसे आदिवासी नेता को तैयार करना केवल भारतीय जनता पार्टी ने किया है और जिसका गर्व पूरे देश में आदिवासी समाज करता है। और उस वक्त मंगू भाई के नेतृत्व में काम शुरू हुए थे, वे सारे काम आज हमारे जनजातीय जिले में, तापी जिले में हमारी अनेक बेटियां स्कूल कॉलेज जाने लगी। आदिवासी समाज की अनेक बेटे-बेटियां साइंस में पढ़ने लगे हैं, डॉक्टर इंजीनियर बन रहे हैं। नर्सिंग में जाने लगे हैं और अब तो विदेशों में भी जाने लगे हैं।

20-25 साल पहले पूरा आदिवासी क्षेत्र महज कुछ आदिवासी आश्रम शालाओं से चलता था। साइंस स्ट्रीम का स्कूल नहीं था। 10वीं-12वीं में यदि विज्ञान संकाय नहीं होगा, तो मेरे आदिवासी बच्चे कहां से इंजीनियर डॉक्टर बन पाएंगे? इन सभी मुसीबतों से मैंने सभी को बाहर निकाला और आज बच्चे डॉक्टर इंजीनियर बन रहे हैं और पढ़-लिखकर देश, समाज और आदिवासी क्षेत्र का नाम रौशन कर रहे हैं। यह काम हमने किया है। कांग्रेस ने इस पर विचार भी नहीं किया कि ऐसे काम करने चाहिए।

भाइयों-बहनों,

कांग्रेस की सोच और उसके काम करने की पद्धति, हमने सोच बदली और कार्य का तरीका बदल दिया और कल गुजरात में गांधीनगर में मैंने हिंदुस्तान का सबसे पहले ऐसे बड़ा कार्यक्रम का उद्घाटन किया है, जो है मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस। पूरे विश्व की समकक्ष हों, ऐसी टेक्नोलॉजी शालाओं तक ले जाएं और गुजरात में जो शालाएं पसंद की गई हैं, उसमें चार हजार शालाएं आदिवासी क्षेत्र की हैं, क्योंकि मुझे हमारे आदिवासी बेटे-बेटियों पर भरोसा है कि यदि उनको यह शिक्षा मिलेगी, तो वह दुनिया में नाम रौशन करेंगे। ऐसा भरोसा मुझे आदिवासी बेटे-बेटियों पर है।

पिछले बीस सालों में आदिवासी क्षेत्र में दस हजार से ज्यादा स्कूलों का निर्माण किया, एकलव्य मॉडल स्कूल और बेटियों के लिए रहने वाले स्कूलों की शुरुआत की, ताकि वे पढ़ सकें। उनके लिए खेलकूद की व्यवस्था की। आज आदिवासी क्षेत्र के बेटे-बेटियां खेल कुंभ का आयोजन करते हैं, तो इनाम वे ही ले जाते हैं। उनकी यह ताकत है। नर्मदा में बिरसा मुंडा जनजातीय विश्वविद्यालय, गोधरा में गोविंद गुरु विश्वविद्यालय जनजातीय बच्चों के लिए यह काम हमने किए हैं।

आदिवासी बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति का बजट भी हमने डबल कर दिया है। एकलव्य मॉडल स्कूल की संख्या भी बढ़ा दी है। अपने आदिवासी बच्चों को पढ़ाई मिले या विदेश जाकर वे पढ़ना चाहते हैं, तो उसमें भी आर्थिक सहायता करने की योजना बनाई है।

आज पूरे विश्व में बड़े-बड़े देश में हमारे आदिवासी शानदार काम कर रहे हैं। हमारी सरकार जिस प्रकार से पारदर्शिता लाई है, भ्रष्टाचार से मुक्त काम किए हैं, खेलो इंडिया का काम किया है, उससे हमारे आदिवासी बच्चों को अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

भाइयों-बहनों,

वन बंधु योजना लेकर मैं गुजरात आया था, उस योजना को आज भी भूपेंद्र भाई आगे बढ़ा रहे हैं और एक लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम उसमें खर्च की गई। एक लाख करोड़ रुपए उमरगांव से अंबाजी गांव के आदिवासी क्षेत्र में खर्च किए गए हैं।

उसके दूसरे चरण का कार्य, एक लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च किया गया और इन बच्चों को कई नई शालाएं, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज एक के बाद एक काम होते गए। इस योजना के अंतर्गत आदिवासियों के लिए ढाई लाख करोड़ रुपए खर्च किये गए हैं। तकरीबन 2.5 लाख घर बनाने का काम मेरे गुजरात में किया गया है। मेरे आदिवासी भाइयों को पक्का घर मिले, जमीन का पट्टा मिले, इसका स्वामित्व मिले, उसके लिए हमने काम किया है।

भाइयों-बहनों,

आदिवासी क्षेत्र में पिछले पांच-सात सालों में 6 लाख घर, एक लाख आदिवासी परिवारों को जमीन के पट्टे दिए गए हैं, यह काम हम कर पाए हैं। मुझे याद है आपने जब मुझे सेवा करने का अवसर दिया और जनजातीय समाज में कुपोषण की समस्या थी। हमारी बेटियां जब 11-12 या 13 साल की होती थी, जब उनके शरीर का जो विकास होना चाहिए था, पारिवारिक समस्याओं की हमने चिंता की और बच्चों के लिए संजीवनी दूध योजना के माध्यम से गांव-गांव तक दूध पहुंचाया, अनाज पहुंचाया। डेढ़ हजार से ज्यादा के करीब स्वास्थ्य केंद्र शुरू किए और सिकल सेल जैसी बीमारियों के लिए मैंने पूरे देश में अभियान चलाया है। दुनियाभर में इसके लिए अच्छे से अच्छा इलाज मिल पाए, इसके लिए हम काम कर रहे हैं। ताकि सदियों से मेरे जो आदिवासी परिवार सिकल सेल की बीमारी में जी रहे हैं, उससे उन्हें मुक्ति मिले। उसके लिए भगीरथ काम हमने किए हैं।

भाइयों-बहनों,

हमारा काम समस्याओं से मुक्ति मिले, जितना हो सके उतनी जल्दी मुक्ति मिले, उसके साथ में पोषण योजना के माध्यम से हमारे बच्चे स्वस्थ बने, गर्भावस्था में हमारी माताओं-बहनों को पौष्टिक भोजन मिले, उसके लिए हजारों रुपए की किट देकर हम मदद कर रहे हैं। माताएं हों, बहनें हों, बच्चे हों, उनको समय पर टीका लगे, उनको लकवा जैसी कोई बीमारी न हो, किसी भी गंभीर प्रकार की बीमारी छोटे-छोटे बच्चों के जीवन में न आ जाएं, उसके लिए हम इंद्रधनुष योजना का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इतना ही नहीं, ढाई साल से अधिक समय बीत गया, पूरे देश में कोरोना की महामारी आई, इस स्थिति में हमने सबसे पहला काम क्या किया, हमने तय किया कि मुसीबत में गांव में, जंगलों में जीने वाले, मध्यमवर्गीय 80 करोड़ लोगों, दुनिया यह आंकड़ा सुन लें तो उनकी आंखे फट जाती हैं, ऐसे लोगों को मुफ्त राशन मिले और गरीब के घर का चूल्हा न बुझे, ऐसी व्यवस्था हमने की है। तीन लाख करोड़ रुपए गरीबों के लिए खर्च करने का हमने काम किया है। कोई परिवार भूखा न रहे, कोई बच्चा भूखा न सो जाएं। उसकी चिंता करने वाले हम हैं।

हमारी माताएं-बहनें, तब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के साथ कितनी तकरार होती है, जब घर में लकड़ी के धुएं के कारण आंखें खराब हो जाती हैं। हमने आपको गैस के कनेक्शन दिए, गैस के सिलेंडर दिए और भूपेंद्र भाई को अभिनंदन दे रहा हूं कि दिवाली पर उन सभी को दो सिलेंडर फ्री में देने का निर्णय लिया है। हमारी माताओं-बहनों के आशीर्वाद से हमें नए कार्य करने की ताकत मिलती है। इसकी वजह से हजारों परिवारों को लाभ हुआ है।

हम आयुष्मान भारत योजना लेकर आये हैं। आपको कोई भी बीमारी हो, तो पांच लाख रुपए तक का बिल देने के लिए आपका यह बेटा तैयार है। हर साल पांच लाख रुपए, केवल एक लाख नहीं। यदि आप अभी चालीस साल जिएं, तो हर वर्ष पांच-पांच लाख रुपए आपकी बीमारी में काम आएं, आयुष्मान योजना यानी यह काम सोने की लकड़ी की तरह है। सोने की लकड़ी को लेकर आप कहीं भी जाते हैं, तो तुरंत पैसा मिल जाता है। आयुष्मान कार्ड सोने की लकड़ी की तरह है। यह आयुष्मान कार्ड ऐसा है कि बड़े से बड़े अस्पतालों का दरवाजा खुल जाता है। आपकी बीमारी में बड़े से बड़े से ऑपरेशन की जरूरत हो तो, ऑपरेशन हो जाता है।

इतना ही नहीं, आप सिर्फ तापी, व्यारी या सूरत में ये सब करवाएं ऐसा नहीं है। आप चाहे कोलकाता, मुंबई, दिल्ली कहीं भी हों, वहां भी सोने की लकड़ी की तरह यह काम करेगा। कार्ड दिखाओ, मोदी साहब की तस्वीर देखेंगे तो दरवाजे खोल देंगे। भाइयों गरीबों के लिए हमने यह काम किया है। हमारे आदिवासी समाज को कोई तकलीफ न हो, उसकी हम चिंता करते हैं। हमारे आदिवासी समाज ने स्वतंत्रता के आंदोलन में कितना बड़ा योगदान दिया है। कितने वीर पुरुषों ने योगदान दिए हैं और आदिवासी भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी जिंदगी दे दी, लेकिन पहले की सरकारों ने उन्हें भुला दिया। कई ऐसे बच्चे होंगे कि बिरसा मुंडा का नाम पहली बार सुना होगा। अब तो 15 नवंबर बिरसा मुंडा के जन्मदिन को आदिवासी गौरव दिन मनाने का तय किया गया है।

आपको आश्चर्य होगा कि सदियों से ये आदिवासी समाज देश में हैं या नहीं हैं। आदिवासी समाज यहां थे या नहीं। भगवान राम के जमाने में शबरी माता थी या नहीं, किंतु देश आजाद हुआ और जब तक अटल जी की सरकार नहीं बनी, आदिवासी के कल्याण के लिए कोई मंत्रालय ही नहीं था। पहली बार भाजपा की सरकार बनी, तब आदिवासियों के लिए अलग से मंत्रालय बना और आदिवासियों के लिए अलग से बजट अलॉट किया गया और आदिवासियों पर ध्यान देने की शुरुआत हुई। यह काम कांग्रेस वाले भी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने किया ही नहीं। भाजपा वाले आए और आदिवासियों के लिए अलग से बजट और मंत्रालय बनाया और अब उनके विकास के लिए काम होते हैं। अटल जी की सरकार ने ग्राम सड़क योजना बनाई। आदिवासी क्षेत्र में गांव तक सड़क जाएं इसकी चिंता हमने की।

भाइयों-बहनों,

यह डबल इंजन की सरकार डबल इच्छा शक्ति के साथ काम कर रही है। यह हमारी सरकार है, जिन्होंने एमएसपी के दायरे को सभी उत्पादन में 12 हजार से बढ़ाकर 90 हजार कर दी हैं। 90 हजार ऐसी चीज़ें जो हमारे आदिवासी क्षेत्र में पैदा होती हैं, उन्हें हमने इसमें जोड़ दिया है। घुमंतू जनजाति को भी हमने प्राथमिकता दी। उसके लिए अलग से बोर्ड बनाया। हमारे देश में पहले कई तरह के कायदे थे, अंग्रेजों ने तो खुद के लाभ के लिए ये कायदे बनाए थे, लेकिन मेरे आदिवासी लोग बांस तक नहीं काट पाते थे, अगर काटते थे तो उन्हें जेल जाना पड़ता था। आदिवासी भाई बांस काटे तो उससे बनने वाली चीज़ों को बेचकर उससे जरूरत की चीजें खरीदकर रोजी-रोटी कमा सकता है। मैंने आकर यह कायदा बदल दिया। मैंने कहा कि यह बांस घास है, वृक्ष नहीं है, बांस की खेती कोई भी कर सकता है, इसे काट सकता है और इसे बेच सकता है। यह मेरे आदिवासियों का अधिकार है। अंग्रेजों के जमाने का नियम आपके इस बेटे ने आकर बदल दिया और आज मेरे आदिवासी भाई बांस की खेती के मालिक बन गए हैं और आठ सालों में हमने आदिवासी क्षेत्र के लिए बजट तीन गुना बढ़ा दिया है। इन सारे प्रयासों से आदिवासियों को रोजगार मिले, आदिवासी बेटियों को प्रगति का अवसर मिले, उन्हें स्वरोजगार मिले, ऐसा प्रयास हमने किया है।

आज तो देश को गर्व है कि राष्ट्रपति पद पर देश में आदिवासी बेटी बैठी है। ऐसा पहली बार देश में हुआ है, गवर्नर पद पर हमारे मंगू भाई बैठे हैं। यह परिवर्तन हम लेकर आए हैं। आदिवासियों ने स्वतंत्रता के संग्राम में जो काम किया है। वे अंग्रेजों के सामने झुके नहीं हैं। आदिवासी समाज की ऐसी कई घटनाएं हैं, जिन्हें सब भूल गए हैं। जिसके लिए मैंने तय किया है, सभी राज्यों की ऐसी जो भी घटनाएं हैं, इसके बड़े-बड़े म्यूजियम बनाएंगे और बच्चों को दिखाने के लिए लेकर जाएंगे कि देखिए आज हम जो सुख-चैन से जी रहे हैं, उसके लिए हमारे आदिवासी भाइयों ने जो इतने सारे बलिदान दिए हैं, उनका जरा हम अभिनंदन करें। उनके चरणों की धूल लें। यह मुझे भावी पीढ़ी को सिखाना है।

भाइयों-बहनों

यह डबल इंजन की सरकार पर्यटन के क्षेत्र में भी अनेक काम कर रही है। आप सोचिए देवमोगरा, गुजरात के एक भी सीएम ने कभी देवमोगरा का नाम भी नहीं सुना था, मैं देवमोगरा गया था और उसके बाद देवमोगरा का मेला हो, उसकी व्यवस्था हो, कितना बदल दिया है। यह सापूतारा रोजगार का पूरा केंद्र बन गया है।

आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पूरे क्षेत्र के आदिवासियों के लिए रोजगार का केंद्र बन गया है। विकास की बहुत प्रगति हुई है। आज इसके लिए दोनों को जोड़ता मार्ग तैयार किया जा रहा है, बीच में तीर्थ क्षेत्र आएंगे। आप विचार करो कि कमाई करने के कितने साधन आदिवासियों के घर पर ही तैयार हो रहे हैं। अब उनको रास्ते के काले डामर के काम करने के लिए शहर फुटपाथ पर जीना पड़े, वह दिन गए। अब तो वह अपने घर पर रहकर ही रोजी-रोटी कमा सकें, ऐसी ताकत मुझे देनी है।

विकास की यह भागीदारी गरीब से गरीब इंसान को सशक्त बनाने के लिए होती है। हमारे जनजातीय युवाओं का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए डबल इंजन की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। सबका प्रयास, इसी मंत्र के साथ हम चल रहे हैं। समाज का सुदूरवर्ती आदमी भी समाज का हिस्सेदार बने और दूर के इंसान का भी भला करने के लिए विकासात्मक समाज भी उनकी जिम्मेदारी संभालें, ऐसी हम व्यवस्था कर रहे हैं।

भाइयों-बहनों,

भाजपा की सरकार गरीबों और आदिवासियों के कल्याण के लिए है। गरीब हो पीड़ित हो या शोषित हो, उनका काम करने के लिए हम दिल से प्रयास कर रहे हैं और इसीलिए आप सभी इतनी बड़ी संख्या में आकर आशीर्वाद देते हैं। आपका आशीर्वाद ही हमारी ऊर्जा और प्रेरणा है। आपका आशीर्वाद ही हमारा सामर्थ्य है। आपका आशीर्वाद ही हमारे काम करने का संकल्प है। आपका आशीर्वाद ही हमारा जीवन आपके लिए समर्पित करने के लिए है और आपके आशीर्वाद की ही पूंजी लेकर आने वाले दिनों में भी निरंतर आपकी प्रगति करते रहें, आपकी सुख सुविधा के लिए काम करते रहें, ऐसा आशीर्वाद बना रहें। यही कामना करता हूं। इतने सारे विकास कार्यों को आपके चरणों में समर्पित करते हुए मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। दोनों हाथ उठाकर पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की–जय,

और जोर से भारत माता की-जय

और जोर से भारत माता की-जय

खूब-खूब धन्यवाद।

डिस्क्लेमर: प्रधानमंत्री का मूल भाषण गुजराती भाषा में है, जिसका यहाँ भावानुवाद किया गया है।

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DS/ST/NS



Source PIB