The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu has greeted the nation on the eve of the anniversary of Quit India Movement Day. Following is the full text of the message –
“I convey my warm greetings and best wishes to all our citizens on the anniversary of Quit India Movement Day. The movement started with Gandhiji exhorting the countrymen with his powerful slogan, ‘do or die’ which infused a new energy into our independence movement and eventually forced the British to leave India
in 1947.
On this occasion, let us remember the countless sacrifices made by the brave sons and daughters of India who participated in the Quit India Movement to free India from the colonial rule.
Today, let us also rededicate ourselves to eradicating poverty, illiteracy, inequality, corruption and social evils like casteism, communalism and gender discrimination from India.
Indian civilisation is rooted in the foundational values of ‘share and care’. This should be our guiding light as we foster harmony, brotherhood, mutual respect and shared responsibility in our society.
We must remember that despite all the differences in the way we dress, the
language we speak or the religion we practice, we are all Indians first and we should be proud of that. This beautiful land is for each and every one of us and we are together in this journey of creating a better tomorrow.
Let us welcome our ‘Bharatheeyata’ back into our lives – be it in the use of our
mother tongue, attire and respect for Indian traditions.
Let us take strides together for a more inclusive, confident Atmanirbhar Bharat.
Jai Hind!”
Following is the Hindi text of the message:
“”भारत छोड़ो आंदोलन दिवस” के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। इस ऐतिहासिक दिन 1942 में गांधी जी ने देशवासियों को “करो या मरो” का अमर मंत्र दिया था जिसने स्वाधीनता आंदोलन में नई जान फूंक दी और अंग्रेजों को अंततः 1947 में भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा।
इस अवसर पर भारत के उन वीर सपूतों और बेटियों की असंख्य कुर्बानियों को याद करें जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने के लिए “भारत छोड़ो आंदोलन” में हिस्सा लिया।
आज हम भारत को गरीबी, अशिक्षा, असमानता, भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता और लैंगिक भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों से मुक्त करने के लिए पुनः प्रतिबद्ध हों।
भारत की सभ्यता “सेवा और सद्भाव” के सनातन मूल्यों पर आधारित है और आज जब हम समाज में आपसी सौहार्द, भाईचारे, परस्पर सम्मान और साझा दायित्वों की भावना को बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं, तब यही सिद्धांत हमारा मार्गदर्शन करेंगे।
हम याद रखें कि हमारी वेशभूषा, भाषा और धार्मिक आस्थाओं में भिन्नता होने के बावजूद, हम “भारतीय” सबसे पहले हैं और हमें इसका गर्व होना चाहिए। ये सुंदर, समृद्ध भूमि हममें से हर किसी की है और एक बेहतर भविष्य के लिए अपनी यात्रा में हम सब साथ हैं।
आइए हम अपने जीवन में “भारतीयता” का स्वागत करें – चाहे वो मातृभाषा का प्रयोग हो या फिर पारंपरिक पहनावा, आइए भारतीय परंपराओं का आदर करें।
एक समावेशी, आत्मविश्वास से परिपूर्ण, आत्मनिर्भर भारत के लिए साथ साथ कदम बढ़ाएं।
जय हिंद!”
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MS/RK/DP